मैं ख्वाब हूं....
मुझे पलने दो अपनी पलकों में
जरा सी देर को मैं भी सूकून पा जाउं
जरा सी देर की राहत, जरा सी मदहोशी
जरा सी देर की ठंडक, जरा सी बेहोशी...........
मैं ख्वाब हूं.......मुझे जीने दो, दो घडी ही सही
अभी न अश्क बहाओ, न आंख खोलो तुम
रहो खमोश रहो लब से कुछ न बोलो तुम
सम्हालो जिस्म को अपने न थरथराए अब....
मैं गिर पडूंगा..बिखर जाउंगा फिर कुछ ऐसे
तमाम उम्र समेटोगी तुम मेरे टुकडे........
मैं ख्वाब हूं..........
Friday, September 28, 2007
Thursday, September 27, 2007
कई दिन हो चुके हैं.....
कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं.... कुछ नहीं है
जिंदगी ठहरी हुई...
हलचल नहीं, आहट नहीं
उदासी और सन्नाटा है
मन के ताल में...
तुम फेंक दो कंकर सुनहरे प्रेम का
लहर उठ जाए..मन फिर हो तरंगित
फिर वही आवाज़ हो
कहो कुछ तो कहो मत चुप रहो अब
मधुर संगीत जीवन कामेरे कानों में फिर घोलो
ज़रा हौले से तुम बोलो
तुम फिर आओगी..इतना तो कहो.....
क्योंकि...कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं....कुछ नहीं है
सुनो, ये दिन नहीं सदियां हैं जो गुजरेंगीं जाने कब
न जाने कब तुम आओगी
मगर आओगी तो हंस दोगी
कह भी दोगी पागल मत बनो
लेकिन सुनो...बनना कहां बस में है
मैं बेबस हूं अब
तुम्हारा ही तो जादू है
सुनो..जादू ये वापस ले लो अपना
मुझे फिर से बना दो
वही जो था मैं...इक तन्हा मुसाफिर
मुसाफिर जो चला जाएगा एक दिन
हमेशा के लिए...
यही सच है..मैं डरता हूं बहुत इस सच से फिर भी....
तुमसे मिलना चाहता हूं, बात करना चाहता हूं
और कहना चाहता हूं........
अब आ जाओ...कई दिन हो चुके हैं
कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं........कुछ नहीं है।।।।।।।।।।।।
कई दिन हो चुके हैं.... कुछ नहीं है
जिंदगी ठहरी हुई...
हलचल नहीं, आहट नहीं
उदासी और सन्नाटा है
मन के ताल में...
तुम फेंक दो कंकर सुनहरे प्रेम का
लहर उठ जाए..मन फिर हो तरंगित
फिर वही आवाज़ हो
कहो कुछ तो कहो मत चुप रहो अब
मधुर संगीत जीवन कामेरे कानों में फिर घोलो
ज़रा हौले से तुम बोलो
तुम फिर आओगी..इतना तो कहो.....
क्योंकि...कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं....कुछ नहीं है
सुनो, ये दिन नहीं सदियां हैं जो गुजरेंगीं जाने कब
न जाने कब तुम आओगी
मगर आओगी तो हंस दोगी
कह भी दोगी पागल मत बनो
लेकिन सुनो...बनना कहां बस में है
मैं बेबस हूं अब
तुम्हारा ही तो जादू है
सुनो..जादू ये वापस ले लो अपना
मुझे फिर से बना दो
वही जो था मैं...इक तन्हा मुसाफिर
मुसाफिर जो चला जाएगा एक दिन
हमेशा के लिए...
यही सच है..मैं डरता हूं बहुत इस सच से फिर भी....
तुमसे मिलना चाहता हूं, बात करना चाहता हूं
और कहना चाहता हूं........
अब आ जाओ...कई दिन हो चुके हैं
कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं........कुछ नहीं है।।।।।।।।।।।।
Subscribe to:
Posts (Atom)