कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं.... कुछ नहीं है
जिंदगी ठहरी हुई...
हलचल नहीं, आहट नहीं
उदासी और सन्नाटा है
मन के ताल में...
तुम फेंक दो कंकर सुनहरे प्रेम का
लहर उठ जाए..मन फिर हो तरंगित
फिर वही आवाज़ हो
कहो कुछ तो कहो मत चुप रहो अब
मधुर संगीत जीवन कामेरे कानों में फिर घोलो
ज़रा हौले से तुम बोलो
तुम फिर आओगी..इतना तो कहो.....
क्योंकि...कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं....कुछ नहीं है
सुनो, ये दिन नहीं सदियां हैं जो गुजरेंगीं जाने कब
न जाने कब तुम आओगी
मगर आओगी तो हंस दोगी
कह भी दोगी पागल मत बनो
लेकिन सुनो...बनना कहां बस में है
मैं बेबस हूं अब
तुम्हारा ही तो जादू है
सुनो..जादू ये वापस ले लो अपना
मुझे फिर से बना दो
वही जो था मैं...इक तन्हा मुसाफिर
मुसाफिर जो चला जाएगा एक दिन
हमेशा के लिए...
यही सच है..मैं डरता हूं बहुत इस सच से फिर भी....
तुमसे मिलना चाहता हूं, बात करना चाहता हूं
और कहना चाहता हूं........
अब आ जाओ...कई दिन हो चुके हैं
कई दिन हो चुके हैं.....तुम नहीं हो
कई दिन हो चुके हैं........कुछ नहीं है।।।।।।।।।।।।
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2 comments:
किसने कहा तुमसे की मैं नही हूं..
मैं तो हर पल यहीं बस यहीं हूं...
मैं यूं ही कहा करूंगी.. सुना करूंगी..
तुम्हारे पागलपन पे हंसा करूंगी...
तुम बेबस मत होना...
गीत सुनहरे यूं ही लिखना..
मैं हौले से सुन जाउंगी..
यही सच है...
एक दिन मैं भी खो जाउंगी..
तुम बस पुकार लेना..
मैं हर बार लौट आउंगी...
kya baat zaigham ji!!kafi behtrin comment kiya hai kisi ne kaash inki email id hoti to aapki wakalat karta unse ki aksar aaya karen aur yun hi kuch likh jaya karen.
Santosh
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