Wednesday, June 27, 2007

सच्‍ची खबरें





अशोक चक्रधर का नाम और हंसी एक दूसरे के पर्याय हैं। मगर उनकी हंसी कभी-कभी तीखे प्रहार कर जाती है। उनके ''ए जी सुनिए'' संकलन से खबर पर एक जबर्दस्‍त व्‍यंग्‍य पेश है। अखबारों की नौकरी करने वाले पढे और अपना सिर धुनें....




सच्‍ची खबरें, सच्‍ची खबरें
आप चार दिन रहे लापता
अखबारों में खुद गई कबरें
सच्‍ची खबरें......



खबरें छप गईं, प्‍यार हो गया
कहां हुआ है - हो जाएगा
समाचार ऊपर से आया
रोको इसको - नो जाएगा
खबर छप गई लट्ठ गड गया
कहां गडा है - गड जाएगा
खबर छप गई, छापा पड गया
कहां पडा है, पड जाएगा
देख रहीं अनकिए काम को
पता नहीं ये किसकी नजरें
सच्‍ची खबरें......


अगर न दी वाशिंग मशीन तो
लडका मेरा अड जाएगा
और बताया अगर किसी को
लडकी वाले, सड जाएगा
दाल बंट रही है जूतों में
कहां बंटी हैं बंट जाएगी
खबर अटपटी, खबर चटपटी
नहीं घटी है घट जाएगी
जो छप गईं सो छप गईं प्‍यारे
अच्‍छी लगें या तुमकों अखरें
सच्‍ची खबरें......




बाद सगाई के, बेटा तेरा
पागल हो गया - दैया री दैया
इकलौते सुत की किडनैपिंग
ये क्‍या हो गया - दैया री दैया
रामनरायन जीते इलेक्‍शन
फोरकास्‍ट तो फ‍िट है भैया
रोडी जिसने रिदम में कूटी
गीतकार वो हिट है भैया
पत्रकार जी लिखें धकाधक
बीयर पीकर मुर्गा कुतरें
सच्‍ची खबरें......


खबर छप गई रिहा हो गए
कहां हुए हैं - हो जाओगे
खबर छपी गुमशुदा तलाशी
मैं तो हूं पर - खो जाओगे
खबर अटपटी खबर चटपटी
नहीं घटी है - सच्‍ची मानो
हुई लूट ये खबर झूठ पर
अगर छपी है सच्‍ची मानो
शांत झील के पानी में भी
बना रहीं हलचल की भंवरें
सच्‍ची खबरें.......


आप चार दिन रहे लापता
अखबारों में खुद गईं कबरें।।

4 comments:

Unknown said...

ha bhai jamana to kha ka kha chala gaya. saale ye dhakosale waj kabhi nahi sudhrenge. ek taraf kahenge ki channel or akhbar wale kya dikha rahe hai. lekin such ye hai ki baap ke jaate beta or bete ke jaate hi baap wahi chij dekhne lagta hai. ghar me agar alag-alag TV hai to baap beta same time same show same channel par apne-apne kamron me dekhate hai. fir kahe ka shor bhaiya.
or channel-akhbar ke malikon ki baat to karna hi bekar hai. isliye ki mera darshak ya pathak ye chij dekhna/padhna chahta hai isliye aisi chijo ko prathmikta di jaae. ab in chutiyon ko kaun samjhae ki jo log aise programe dekhna chahte hai wo ye bhi dekhna chahte hai ki kis channel or akhbar ka malik kis mahil reporter ke sath sota hai. kya ise bhi dikhaenge kasam se itni trp or serculation milegi ki aap soch nahi sakte.
fir yaar bechare reporter ko kyo kosa jaata hai. are bhai wo bhi ek insaan hai use bhi 2 joon ki roti khane ka sauk hai wo bhi chahta hai ke mai bhi ek choti hi sahi magar ac car me ghumu to isme galat kya hai. kam to use wahi karna hai jo malik ya boss kahenge. nahi to bechare ki naukri chali jaegi.

Monika (Manya) said...

अशोक चक्र्धर जी की रचनायें मुझे बेहद पसंद हैं.. उनकी इस रचना को यहां प्रेषित करने क बेहद शुक्रिया... बहुत सही कहा है उन्होंने.. बिल्कुल सही खबर ली है उन्होने अखबार वालों की..

विभावरी रंजन said...

अखबार वालों को क्या धसीटा है!चक्रधर जी का जवाब नहीं.....अखबार वालों सावधान.....

Shastri JC Philip said...

आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप अच्छा लिखते हैं, लेकिन आपकी पोस्टिंग में बहुत समय का अंतराल है. सफल ब्लागिंग के लिये यह जरूरी है कि आप हफ्ते में कम से कम 3 पोस्टिंग करें. अधिकतर सफल चिट्ठाकार हफ्ते में 5 से अधिक पोस्ट करते हैं. -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!