Monday, June 25, 2007

प्रेम के पांच गीत



''........जिंदगी एक फूल होती है, जो मुरझा जाती है; जिंदगी एक पत्‍थर होती है और घिस जाती है; जिंदगी लोहा होती है और जंग खा जाती है; जिंदगी आंसू होती है और गिर जाती है; जिंदगी महक होती है और बिखर जाती है; जिंदगी समंदर होती है जिस पर लहर दर लहर खराशें पड़ती रहती हैं...हमेशा''



1
फ़रियादे इश्‍क को मेरी मंजूर कर दिया
दिल मेरे अख्तियार से कुछ दूर कर दिया

करके इस एक बला में नई उसने मुब्‍तला
दुनिया की हर बला से मुझे दूर कर दिया

कहता हूं दिन को रात जो कहते हो तुम तो हाय
तुमने भी किस कदर हमें मजबूर कर दिया

जै़गम को कह रहे हो है कि जूती है पांव की
किस बात ने इतना तुम्‍हें मग़रुर कर द‍िया।।


2


फुरसत उसे कहां कि मेरी इल्‍तजा सुने
सुनने को और कुछ है बहुत मेरी क्‍या सुने

मर जाऊंगा घड़ी में खुशी की ये बात है
कह दे तबीब जोर से वो भी जरा सुने

नश्‍तर चुभो के सीने से दिल को निकाल दे
सुननी जिसे है दर्दे जिगर की दवा सुने

उसका लिहाज बज्‍़म में आता था सामने
वरना मजाल क्‍या कि कोई मेरी ना सुने

सुनना किसी का मायने रखता नहीं है फ‍िर
जैगम अगरचे बात न अपनी खुदा सुने।।

3

उट्ठा न जाए आज तेरी बज्‍़मगाह से
इतनी पिला दे साकिया मुझको निगाह से


दिल में रहा तेरे तो संवर जाऊंगा जरुर
मर जाऊंगा जो तूने गिराया निगाह से


कमअक्‍ल हैं ये सारे के सारे जहां के लोग
कातिल का नाम पूछते हैं बेगुनाह से


जै़गम मैं मांगता हूं दुआ हर घडी यही
मौला बचाए रखना मुझे हर गुनाह से।।

4

दिन मेरे यूं गुज़र नहीं होते
आप गर हमसफर नहीं होते


सोचते हैं कि हम कहां होते
तेरी बाहों में गर नहीं होते


कोशिशें लाख कीं बहुत की हैं
रुबरु वो मगर नहीं होते


लुत्‍फ़ ले ले जवानी है जै़गम
ऐसे दिन उम्रभर नहीं होते।।

5


संगदिल जख्‍म का हिसाब न कर
दिल के जख्‍मों को तू बेनक़ाब न कर


रफ्ता रफ्ता ही मुझको जलने दे
इस शमा को तू आफ़ताब न कर


इतना एहसान मुझपे कर दे तू
मुझको दीवाना इंतख़ाब न कर


मैं बहक जाऊंगा मेरे सारी
अपनी नज़रों को तू शराब न कर


वस्‍ल की रात आज है ज़ालिम
आज तो रुख पे तू नक़ाब न कर


इक गुजारिश है तुझसे ये ज़ैगम
मैं हकीकत हूं मुझको ख्‍वाब न कर।।


2 comments:

Unknown said...

wah-wah wah wah wahhhhhhh
isse jyada kya kahu.
shayad ab kuch baki nahi hai iske aage. sab kuch maine kah diya.
ha ek chij or kahna chahunga arj hai ki-
ab ishq bda hai aasan
bas itna samajh lijiye
kha aag ka dariya hai or kha dub ke jana hai,
thodi si jehmat karke
mobile uthakar masuk ka nomber hi to milana hai.

Monika (Manya) said...

बेहद उम्दा रचनायें हैं.. सबका अपना अलग अंदाज़ है.. अलग एह्सास... और सारे एह्सास दिल को छूते हैं...