मैं ख्वाब हूं....
मुझे पलने दो अपनी पलकों में
जरा सी देर को मैं भी सूकून पा जाउं
जरा सी देर की राहत, जरा सी मदहोशी
जरा सी देर की ठंडक, जरा सी बेहोशी...........
मैं ख्वाब हूं.......मुझे जीने दो, दो घडी ही सही
अभी न अश्क बहाओ, न आंख खोलो तुम
रहो खमोश रहो लब से कुछ न बोलो तुम
सम्हालो जिस्म को अपने न थरथराए अब....
मैं गिर पडूंगा..बिखर जाउंगा फिर कुछ ऐसे
तमाम उम्र समेटोगी तुम मेरे टुकडे........
मैं ख्वाब हूं..........
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2 comments:
अब चांद ढल गया..सहर होने को है...
बंद पलकों में रूके अश्क गिरने को है..
तुम उतर आओ हथेली पर..पलकों से..
रात भरे जागे रहे..अब सो जाओ...
चांद खिले फ़िर पलकें बंद कर लूंगी...
तुम फ़िर जगना.. मैं फ़िर दो घड़ी सो लूंगी..
लाजवाब
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